किसान ने दिखाई सेल्समैन को औकात
कर्नाटक के तुमकुर में एक किसान केंपेगौड़ा आरएल महिंद्रा के शोरूम पर गाड़ी खरीदने गया था। लेकिन सैल्समेन ने उसका पहवाना देख बेइज्जती करते हुए कहा जेब में 10 रुपए नहीं, 10 लाख की गाड़ी खरीदेगा। फिर वह आधे घंटे में दस लाख रुपए लेकर आ गया था। इसके बाद सेल्समैन को माफी मांगनी पड़ी थी।

रतन टाटा ने Ford से लिया अपमान का बदला
1998 में रतन टाटा ड्रीम प्रोजेक्ट के फेल होने पर डेट्रॉयट गए थे। यहां फोर्ड कंपनी ने उन्हे ये कहकर अपमानित किया था कि वे उनके कार डिवीजन को खरीद एहसास कर रहे हैं। जब हें कार डिजाइन करनी नहीं आती तो कार डिवीजन स्टार्ट नहीं करना था।
इस बात से दुखी रतन टाटा ने फिर अपना कार डिवीजन नहीं बचा और अपनी कमियों को दूर कर टाटा मोटर्स को ऊंचाइयों पर ले गए। फिर 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान फोर्ड कंपनी दिवालिया की स्थिति में आ गई। ऐसे में रतन टाटा ने फोर्ड का जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) डिवीजन 2.3 बिलियन डॉलर में खरीद लिया। इस पर फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड ने रतन टाटा से कहा कि आप जेएलआर को खरीद कर हम पर बड़ा एहसान कर रहे हैं।
जमशेदजी टाटा का बदला “ताज होटल”
टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा 1903 में ब्रिटेन अपने एक विदेशी दोस्त से मिलने गए थे। यहां एक होटल के मैनेजर ने उन्हें अंदर नहीं आने दिया था। उन्होंने कहा ‘हम भारतीयों को अंदर आने की इजाजत नहीं देते।’ इस बात से अपमानित जमशेदजी टाटा ने एक ऐसा होटल बनाने की ठानी जिसमें भारतीय और विदेशी दोनों आकर ठहरे। आज वह होटल ‘ताज होटल’ कहलाता है।
किसान के बेटे ने फरारी से लिया बेइज्जती का बदला
किसान के बेटे फारुशियो लेम्बोर्गिनी ने ट्रैक्टर मैन्युफैक्चरिंग की कंपनी की शुरु की थी। साल 1958 में उन्होंने टू सीटर कूपे फरारी 250 जीटी खरीदी थी। उन्हें इस कार में कुछ खामियाँ दिखी जिसे बताने वे फ़रारी कंपनी के पास गए। लेकिन कंपनी ने उन्हें बेइज्जत करते हुए कहा ‘खराबी कार में नहीं चलाने वाले ड्राइवर में है। तुम अपने ट्रैक्टर बनाने पर फोकस करो।’
इस बात से नाराज होकर फारुशियो ने ऐसी कार बनाने पर मेहनत की जो फ़रारी को टक्कर दे सके। फिर अक्टूबर 1963 में हुए टूरिन मोटर शो में अपनी लेम्बोर्गिनी 350 जीटी उतारी। इस कार ने लोगों का दिल जीत लिया। और इस तरह लम्बोर्गिनी ब्रांड की कारें एक बड़ा ब्रांड बन गई।
महाराजा जयसिंह ने उठवाया रोल्स रॉयस कार से कचरा
जयपुर के महाराजा जयसिंह एक बार लंदन गए थे। यहां वे साधारण वेशभूषा में नामी कार कंपनी रोल्स रॉयस शोरूम पहुंच गए। सेल्समैन ने उन्हें कंगाल भारत का साधारण नागरिक समझ बेइज्जत कर भगा दिया। फिर महाराज ने भारत लौट सात रोल्स रॉयल कार खरीदी और उन्हें नगरपालिका को सौंप कचरा उठाने को कहा।
जब ये खबर दुनिया में फैली तो रोल्स रॉयस की इज्जत उछलने लगी। फिर कंपनी ने महाराजा को टेलीग्राम से माफीनामा भेजा। वहीं रोल्स रॉयल कार मुफ्त में दी। ऐसे में राजा ने कंपनी को अपनी गलती का एहसास होने पर रोल्स रॉयस कारों से कचरा उठवाना बंद कर दिया।