जिन्दगी बदलने के लिए काफी है आचार्य चाणक्य के ये मंच मूल मंत्र, आपके लिए भी है जरूरी

जीवन जीने के लिए हमेशा लोग किसी बड़े महान हस्ति को पढ़ते रहते हैं. उनके विचार पढ़ते हैं और उनके कहे हुए बातों को जीवन में उतारने की कोशिश करते हैं. महर्षि आचार्य चाणक्य, जिन्हें राजनीति का गुरु भी कहा जाता है, जिन्हें अर्थशास्त्र का ज्ञाता कहा जाता है, उन्हें पढना भी अपने आप में ज्ञान अर्जन करने से कम नहीं है. आचार्य चाणक्य भारत देश के एक महानतम विद्वान और गुरु है. उनकी बतायी हुई कुछ बातें आज भी लोगो के जीवन में मुश्किलें कम कर देती हैं और मुसीबतों से लड़ने और उसका समाधान निकालने का उपाय दे देती है. \

मानव जीवन पर आचार्य चाणक्य ने काफी शोध किए हैं. उन्होंने कई ऐसी बातें बताई हैं, जो आज के जीवन में काफी महत्व रखती हैं. जिंदगी में कभी भी किसी भी वक्त, किसी भी समय, किसी भी दुविधा की घड़ी में चाणक्य की कही गई बातें याद आ सकती हैं, जो उस परेशानी को चुटकी भर में गायब कर दे. हर किसी को उनकी नीतियों के बारे में जरूर पढना चाहिए. उनकी नीतियों को पढ़कर जीवन में आत्मसात करने के बाद आपको खुद महसूस होगा कि आपने जीवन को कितना बेहतर कर लिया है.

सुख और शांति के साथ जीवन जीने के लिए चाणक्य की कही गयी पांच बातें, आज हम आपको बताने वाले हैं, जो आपके जीवन में आमूलचूक परिवर्तन ला सकती है और एक सकारात्मक ऊर्जा के साथ उसे भर सकती है.

जीवन में सुख शांति के लिए चाणक्य ने स्वास्थ्य और खानपान पर काफी कुछ कहा है. उनका कहना था कि खानपान अगर ठीक ना हो, खानपान अगर पोस्टिक ना हो, तो शरीर और मन दोनों बेचैन हो जाता है. ऐसे किसी भी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए, जिससे पाचनतंत्र खराब हो, क्योंकि उससे मस्तिष्क की उलझन में बढ़ जाती हैं. और वह सही से सोच नहीं पाता.

सामाजिक मर्यादा पर बात करते हुए चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य सामाजिक बंधनों में जीने वाला प्राणी है और हर समय अपने सम्मान की इच्छा रखता है. अपने हित, अपने प्रतिष्ठा के लिए हर कोई मुखर रहता है. कई बार ऐसी स्थितियां बन जाती है कि व्यक्ति को अपमानित होना पड़ता है. लेकिन फिर भी उसे जीना पड़ता है. उस अपमान का बोझ इतना मुश्किल होता है कि व्यक्ति उसे सह नहीं पाता और तनाव में जीने लगता है. चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को जिस जगह पर सम्मान ना मिले, वहां कभी नहीं जाना चाहिए.

तीसरी बात जो चाणक्य कहते हैं, वह अहंकार से संबंधित है. चाणक्य के अनुसार जीवन में अहंकार अपनों को दूर कर देता है और जीवन में एकाकीपन ले आता है .जो किसी भी तरीके से आपसी रिश्तो के लिए ठीक नहीं होता.

चौथी बात जो चाणक्य ने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति आपके एक या दो बार समझाने से समझ जाता है, तो उसे जरूर समझाएं और उसे सही मार्ग पर लाने को प्रेरित करे. लेकिन बार-बार समझाने पर भी अगर व्यक्ति वही गलतियां कर रहा हो, तो उस व्यक्ति का साथ तुरंत छोड़ दें. क्योंकि उसके गलत कर्मों का परिणाम जब भी मिलेगा तो उसमें आप भी हिस्सेदार होंगे. इसलिए समय बर्बाद ना करें.

पांचवी और आखरी बात जो चाणक्य कह कर गए हैं, वह यह कि इंसान को हमेशा सच का साथ देना चाहिए. मानसिक शांति चाहते हैं तो झूठ और असत्य का साथ छोड़ दें. झूठे व्यक्ति के साथ समय बर्बाद ना करें. अगर सच कहने से किसी को बुरा भी लगता है जिसमें सच सुनने की हिम्मत नहीं है उसके पीछे भी अपना समय बर्बाद ना करें ऐसे मित्र और इष्ट आपके जीवन में हानिकारक हो सकते हैं