दिनभर धूप में खड़ा रहता, फिर बेघर बच्चों को फ्री में पढ़ाता, ट्रैफिक सिपाही की कहानी दिल पिघला देगी

शिक्षा जीवन में बेहद जरूरी होती है, लेकिन गरीबी के अभाव में कई बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं। ऐसे में कुछ फ़रिश्ते उनकी मदद को आगे आते हैं। चेन्नई के ट्रैफिक सिपाही एस महेंद्रन ऐसे ही एक फ़रिश्ते हैं जो अपनी नौकरी से समय निकाल गरीब और बेघर बच्चों को पढ़ाते हैं।



बीएससी मैथेमैटिक्स से ग्रेजुएट महेंद्रन की फेवरेट स्टूडेंट दीपिका नाम की एक बच्ची है। दीपिका की मां सुधा (36) फ्लावर बाजार पुलिस स्टेशन के पास फल बेचती ही तो पिता रंजीत (40) शोक सभाओं में गाना गाकर पेट पालते हैं। इनके पास घर नहीं है इसलिए ये पुलिस चौकी से सटे कार पार्किंग एरिया रातें गुजारते हैं। पब्लिक टॉइलेट से इनका बाथरूम और नहाने का काम चल जाता है।



दीपिका की 5 बहनें और हैं। वह पांचवें नंबर की है। तीसरे नंबर वाली बहन बौद्धिक असक्षमता से पीड़ित है। वहीं सबसे बड़ी बहन दसवीं में पढ़ती है। इनके परिवार को शहर से 14 Km दूर एर्नावुर में सरकार की तरफ से घर मिला था लेकिन परिवार ने ये कहकर जाने से इनकार कर दिया कि उनकी रोजी रोटी इसी शहर के बीचों बीच से चलती है।



कुंद्राथुर निवासी महेंद्रन फ्लावर बाजार पुलिस स्टेशन के पास भी ट्रैफिक कंट्रोल करते हैं। वे जॉब से समय निकाल गरीब बच्चों को गणित, तमिल और अन्य विषय पढ़ा उनका भविष्य सँवारते हैं। महेंद्रन को दीपिका की लिखावट बड़ी पसंद आती है। महेंद्रन की बेटी भी दीपिका की अच्छी दोस्त बन गई है।



दीपिका के पिता रंजीत कहते हैं कि उनकी बेटी बड़ी होकर क्या बनेगी पता नहीं लेकिन जब वह महेंद्रन को बच्चों को पढ़ाते हुए देखती है तो टीचर बनने का सोचती है।