स्मार्टफोन और इंटरनेट के आने से पहले बच्चे गलियों में साइकिल चलाया करते थे। तब ‘हीरो साइकिल’ सबकी फेवरेट हुआ करती थी। हीरो साइकिल का इतिहास बड़ा रोचक है। इसकी शुरुआत चार भाइयों ब्रिजमोहन लाल मुंजाल, दयानंद, सत्यानंद और ओमप्रकाश ने की थी। ये सभी पंजाब के टोबाटेक सिंह जिले (अब पाकिस्तान) के कस्बे कमलिया में रहते थे। हालांकि बंटवारे से पहले अमृतसर आ गए थे।
चारों भाई पहले साइकिल के पार्ट्स का बिजनेस करते थे, लेकिन फिर इन्होंने खुद साइकिल बनाने की सोची। इस साइकिल का ब्रांड नेम ‘हीरो’ उन्हें ओमप्रकाश मुंजाल के दोस्त करीम दीन से मिला। करीम साइकिल सैडल्स बनाने का धंधा करते थे। दोस्त के कहने पर उन्होंने अपना ब्रांड नेम ‘हीरो’ इन भाइयों को दे दिया था।

भाइयों ने शुरुआत में गलियों और फुटपाथों पर साइकिल के पुर्जे बेचने का काम शुरू किया। ये 1956 की बात है। फिर इन्होंने बैंक से 50 हजार रुपए का लोन लिया और लुधियाना में अपनी साइकिल पार्ट्स बनाने की पहली यूनिट स्थापित की। साल 1966 आते आते कंपनी हर साल एक लाख साइकिल तैयार करने लगी। फिर 1986 में Hero Cycles का दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल उत्पादक कंपनी के रूप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम भी दर्ज हुआ।

साइकिल के अलावा मुंजाल भाइयों ने हीरो ग्रुप के ब्रांड नेम के साथ साइकिल कंपोनेंट्स, ऑटोमोटिव, ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स, आईटी, सर्विसेज जैसे उत्पाद भी बनाए। फिर हीरो ग्रुप ने 1984 में हीरो मैजेस्टिक के नाम से टूव्हीलर बनाना स्टार्ट कर दिया। इसके लिए उन्होंने जापान की दिग्गज दोपहिया वाहन निर्माता कंपनी Honda से हाथ मिला Hero Honda Motors Ltd की स्थापना की।

13 अप्रैल 1985 में Hero Honda Motors Ltd ने अपनी पहली बाइक CD 100 को लॉन्च की। ये कंपनी करीब 27 साल तक कई बढ़िया गाड़ियां बनाती रही। लेकिन फिर 2011 में इन दो कंपनियों की रहें अलग हो गई। ऐसे में हीरो मोटोकॉर्प की शुरुआत हुई।

