दुनियाभर की आधी हिंग भारतीय खा जाते हैं, फिर भी इसे हिंदुस्तान में क्यों नहीं उगाते? जाने वजह

हींग के बिना भारतीय किचन अधूरा है। इससे खाने का स्वाद बहुत बढ़ जाता है। हिंग सबसे पहले भारत में मुगल काल में ईरान से भारत आई थी। कुछ जनजातीय ईरान से भारत आते समय साथ हिंग लाए थे। फिर ये यहां लोकप्रिय हो गई। वहीं आयुर्वेद में भी हींग के लाभ देखने को मिलते हैं। भारत में हिंग का इस्तेमाल कई सालों से हो रहा है।



भारत हर साल लगभग 600 करोड़ रुपए की 1200 टन कच्ची हींग हींग ईरान, अफगानिस्तान समेत उज्बेकिस्तान से खरीदता है। ईरान और अफगानिस्तान की पहाड़ियों में हींग की पैदावार सबसे अधिक होती है। अब आप सोच रहे होंगे कि भारत में इतने हिंग के शौकीन लोग हैं, तो फिर इसे हिंदुस्तान में क्यों नहीं उगाया जाता?



दरअसल 1963 से लेकर साल 1989 के मध्य भारत में हींग की खेती हुई थी। लेकिन खेत में हिंग बोने पर उसमें बस एक ही पौधा उगा। ऐसे में इसकी खेती बड़ी चुनौती बन गई। 2017 में हींग की बढ़ती खपत देख इसकी भारत में खेती की मांग फिर तेज हुई। इसके लिए एक प्रस्ताव भी रेडी है। हिंग के बीज ईरान से मँगवाए जाएंगे।



हींग की खेती के लिए ठंडे वातावरण की जरूरत होती है। इस बीच खबर आ रही है कि हिमाचल प्रदेश के पालमपुर ने पहली बार देश में हींग उगाने का कार्य किया है। IHBT के डायरेक्टर संजय कुमार लाहौल और स्पीति के एक गांव कवारिंग में हींग उगाने का कारोबार शुरू करने जा रहे हैं। यह इलाका हिमाचल प्रदेश का एक ठंडा और सूखा जिला है।