दो महीने तक जज बना रहा यह चोर , सुनाये कई बड़े फैसले, अपराधियों को कर देता था रिहा

अक्सर कहा जाता है कि चोरी करना पाप है, हमें चोरी नही करना चाहिए। क्योंकि इंसान की छोटी – मोटी चोरी करने की आदत आगे चलकर बड़ी बन जाती हैं। एक दिन वह इंसान एक अपराधी बन जाता हैं। इस दुनिया जितने अच्छे लोग हैं उतना ही या उससे ज्यादा शातिर लोग है। आप लोगों ने देखा होगा या सुना होगा कि किसी ने बाहर गया तो उसका पर्स चोरी हो गई तो कही किसी के घर में घुसकर चोरों ने सारा समान लूट लिया। आज हम आपको एक ऐसा ही हिंदुस्तान के सबसे बड़ा शातिर चोर के बारे में जिसको जानकर आप हैरान हो जाएंगे।



हिंदुस्तान का एक ऐसा शातिर चोर जो 2 महीने तक जज की कुर्सी पर बैठकर कई फैसले सुनाया है। इतना ही नहीं वह कई लोगों को रिहा भी किया है।  उस शातिर चोर का नाम ” धनीराम मित्तल” है। मुझे पता है कि आप सभी लोग इस नाम से परिचित नहीं होंगे। क्योंकि धनीराम मित्तल इंडिया का एक ऐसा शातिर चोर है, जो चोरी करने में रिकॉर्ड हासिल कर चुका है। कहा जाता है कि जब उसका मन चोरी से ऊब गया तो उसने जज की कुर्सी पर बैठने का फैसला कर लिया और बैठ भी गया। बैठा तो एक दो दिन के लिए नही, पूरे दो महीने से भी ज्यादा दिनों तक वह जज के कुर्सी पर बैठा रहा और फैसला सुनीता रहा। इतना ही नहीं, इस दौरान उसने कई अपराधियों को भी फैसला सुनाकर रिहा किया था।



आपको बता दें कि जिस चोर को कठघरे में खड़ा रहना चाहिए वह जज की कुर्सी पर बैठकर फैसला सुनाता था।धनीराम मित्तल का जन्म 1939 में हरियाणा में हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि वह बचपन में पढ़ाई में बहुत तेज था। लेकिन उसने पढ़ाई से ज्यादा दिमाग गलत कामों में लगाया। धनीराम मित्तल ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर ली। उसके बाद उसका मन रेलवे की नौकरी करने में हुआ और उसने फर्जी कागज बनाया। फिर स्टेशन मास्टर बन कर बैठ गया। जब उसकी यह पोल खुली तो वह फरार हो गया। उसके बाद धनीराम मित्तल अपराध की दुनिया में कदम रख था और गाड़ियों की चोरी करने लगा।



वही, धनीराम मित्तल को लोग एक से नहीं है बल्कि उसके कई नाम से जानते हैं। बहुत से लोग तो इसे भारत का चार्ल्स शोभराज भी कहते हैं। जबकि बहुत से लोग इसको हिंदुस्तान का सबसे शातिर चोर भी कहते हैं। इसने अपने जीवन में ऐसे ऐसे कारनामे किए हैं कि उसे सुनकर लोगो के होश ही उड़ जाते हैं। दरअसल, चोर तो रात के अंधेरे में चोरी करते है। लेकिन धनीराम  अधिकतर चोरी दिन के उजाले में करता था। धनीराम मित्तल इतना शातिर चोर था कि जब वह पकड़ा जाता था तो कोर्ट से ही गायब हो जाता था और किसी को मालूम नहीं चलता था। इसके बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि जब वह सुनवाई के लिए आता था तभी वह वहीं से किसी का कार चुराकर ले जाया करता था।

आपको बता दें कि धनीराम मित्तल के बारे में यह भी कहा जाता है कि उसने चोरी करने के साथ हुए ही LLB की पढ़ाई की थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कानून की पढ़ाई उसने राजस्थान और हैंडराइटिंग की पढ़ाई कोलकाता से किया था। कानून की पढ़ाई करने के बाद वह अपना केस खुद ही लड़ता था। इसके साथ ही वह  अपने साथी चोरों को भी कानून से बचने के सुझाव देता था। इसी पढ़ाई और हैंडराइटिंग एक्सपर्ट के सहारे उसने कई फर्जी काम किए।



इतना ही नहीं धनीराम के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि जब उसका मन चोरी और फर्जीवाड़े के धंधे से भर गया तो उसने कुछ नया तरीका अपनाया। धनीराम ने फर्जी कागज तैयार कर हरियाणा के झज्जर कोर्ट के एडिशनल सेशन जज को लगभग दो महीने के लिए छुट्टी पर भेज दिया था। जब जज साहब छुट्टी पर चले गए तो धनीराम उनकी कुर्सी पर बैठ कर खुद ही फैसला सुनाने लगा। जहां उसने दो महीने से भी ज्यादा दिनों तक जज की कुर्सी पर बैठकर  सैकड़ों अपराधियों को जमानत पर रिहा किया। जुर्म की दुनिया में 50 साल से भी ज्यादा समय तक धनीराम मित्तल बिता चुका है। भले वह बूढ़ा हो गया है लेकिन आज भी उसका दिमाग उतना ही शातिर है।