भारत में सनातन धर्म से संबंधित हजारों में मंदिर है, जो अपने आप में एक अद्भुत कलाकृति और भवन संरचना को समेटे हुए हैं. भारत के प्राचीनतम मंदिरों में ऐसे कई रहस्य देखने को मिलते हैं, जिसका आज तक कोई वैज्ञानिक आधार नहीं मिला है. मान्यताएं हैं और उन्हीं मान्यताओं के आधार पर इसे सच मान लिया जाता है. आज हम आपको देश के वैसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपनी भव्यता और अनोखी संरचना के लिए पूरे संसार में जाना जाता है.
भारत के आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित है लेपाक्षी मंदिर. इस मंदिर को रहस्यों का परिषद भी कहा जाता है. आपको बता दें कि इस मंदिर की संरचनात्मक ढांचे की यह विशेषता है, कि इसका एक खंभा हवा में लटका हुआ है. वैसे तो यह पूरी मंदिर सिर्फ खंभों और पिलरों के सहारे बनी हुई है. लेकिन उसमें से भी एक खंभा पूरी तरह से हवा में लटका है, जिसका जमीन से कोई संपर्क नहीं है.

लेपाक्षी मंदिर में 70 खम्भे मौजूद है. दूर-दूर से पर्यटक इस मंदिर में घूमने आते हैं और इस खंभे को दैविक चमत्कार समझ कर उन्हें नमन करते हैं. ऐसी मान्यता है कि एक खंभा जो जमीन से लगभग आधा इंच ऊपर उठा हुआ है, उसके नीचे से कोई कपड़ा गुजार कर उसको अपने घर में रखने से सुख और समृद्धि आती है. आप जब कभी इस मंदिर में जाएंगे, तो आपको सैकड़ों लोग बारी बारी से उसी खंभे के नीचे से कपड़ा निकालते नजर आ जाएंगे.

सवाल यह है कि उस मंदिर का वह खंभा बिना किसी जमीन के संपर्क के हवा में कैसे लटका हुआ है? इस पर कई सारी मान्यताएं हैं. कई सारे तर्क हैं. कुछ लोग कहते हैं यह पहले यह खंभा जमीन में जुड़ा हुआ था, लेकिन एक ब्रिटिश इंजीनियर ने यह जानने की कोशिश की, कि यह मंदिर पिलर पर कैसे टिका हुआ है. इसीलिए उसने इस खम्भे को हिला दिया और तब से यह खंबा अपने जादुई ताकतों के माध्यम से हवा में झूल रहा है.
लेपाक्षी मंदिर भगवान शिव के क्रूर रूप वीरभद्र का मंदिर है. इसके अलावा इस मंदिर में अर्धनारीश्वर कंकाल मूर्ति दक्षिणमूर्ति और त्रिपुरातकेश्वर भी मौजूद हैं. इस मंदिर में एक देवी की भी मूर्ति है, जिसे भद्रकाली कहा जाता है. यह मंदिर कुरमासेलम की पहाड़ियों पर स्थित है. जो एक कछुए के आकार की तरह दिखाई देता है.
हमारे आदि ग्रंथ रामायण में भी इस मंदिर का जिक्र मिलता है. ऐसा कहा जाता है कि जब रावण माता सीता को हरण कर ले जा रहा था, तब जटायु ने रावण को रोकने की कोशिश की थी. युद्ध में जख्मी होने के बाद जटायु जिस जगह पर गिरे थे, वहीं पर लेपाक्षी मंदिर का निर्माण करवाया गया है.