17 साल के ललित पाटीदार एक बेहद दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हैं. इस वजह से उनके चेहरे के 5 सेंटीमीटर तक बाल उग जाते हैं. मध्यप्रदेश के रतलाम के रहने वाले ललित को वरवोल्फ सिंड्रोम है. यानी वो बीमारी, जिसमें शरीर पर बाल उग आते हैं. ऐसे में उनका चेहरा भेड़िए की तरह लगने लगता है.
मध्य प्रदेश के छोटे से गांव नंदलेटा का ये छात्र उन पचास लोगों में से एक है जिन्हें मध्य युग के बाद से इस बीमारी का पता चला है. ब्रिटिश अखबार डेली स्टार से बातचीत करते हुए ललित ने कहा, ‘मैं एक सामान्य परिवार से आता हूं, मेरे पिता एक किसान हैं, और मैं वर्तमान में 12 वीं कक्षा में पढ़ता हूं. साथ ही मैं अपने पिता के खेती के काम में मदद करता हूं.’
उन्होंने कहा कि छोटे बच्चे उन्हें देखकर डर जाते थे और बचपन में उन्हें यह बात समझ नहीं आती थी लेकिन जैसे-जैसे वह बड़े हुए उन्हें एहसास हुआ कि उनकी हालत सबके जैसी नहीं है. उन्होंने आगे कहा, ‘बच्चे चिंतित थे कि मैं उन्हें जानवरों की तरह काटने के लिए वापस आऊंगा.’
हाइपरट्रिचोसिस शरीर पर बालों के विकास की एक असामान्य मात्रा है. हाइपरट्रिचोसिस के दो अलग-अलग प्रकार सामान्यीकृत हाइपरट्रिचोसिस हैं, जो पूरे शरीर में होते हैं, और स्थानीयकृत हाइपरट्रिचोसिस, जो एक निश्चित क्षेत्र तक ही सीमित है.

19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत में कई सर्कस साइडशो कलाकारों, जैसे कि जूलिया पास्ट्राना, को हाइपरट्रिचोसिस था. पाटीदार ने कहा, ‘मेरे पूरे जीवन में ये बाल रहे हैं, मेरे माता-पिता कहते हैं कि डॉक्टर ने मुझे जन्म के समय बचाया था, लेकिन जब तक मैं लगभग छह या सात साल का नहीं हो गया, तब तक मुझे वास्तव में कुछ भी अलग नहीं लगा. तभी मैंने पहली बार नोटिस किया कि मेरे पूरे शरीर पर बाल बढ़ रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा, ‘मेरे स्कूल के साथी मुझे चिढ़ाते थे, वे मुझ पर ‘बंदर बंदर’ चिल्लाते थे, लोग मुझे बताते हैं कि यह बहुत डरावना है, और लोग मुझे भूत कहकर चिढ़ाते हैं, वे सोचते हैं कि मैं किसी प्रकार का पौराणिक प्राणी हूं लेकिन मैं ये चीजें नहीं हूं.’

उन्होंने कहा, ‘मुझे धीरे-धीरे एहसास हुआ कि मेरे पूरे शरीर पर बाल हैं और मैं आम इंसानों से अच्छे तरीके से अलग हूं, मुझे कई चीजें सीखने को मिलीं, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मुझे यह सीखने को मिला कि मैं एक मिलियन में एक हूं, मुझे कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और जीवन को पूरी तरह से जीना चाहिए.’