स्वर कोकिला लता मंगेशकर का बीते रविवार 92 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्हें कोरोना और निमोनिया दोनों था। उनके जाने से पूरा देश दुखी है। लता जी ने अपने करियर में तीस हजार से अधिक गाने गाए। वे जब 13 साल की थी तभी करियर शुरू कर दिया था। उन्होंने लाइफ में पैसा और शोहरत सबकुछ हासिल किया। लेकिन दिल में एक बात का पछतावा हमेशा रहा।
दरअसल लता जी अपने पिता दीनानाथ मंगेशकर को अपना गुरु मानती थी। उनके पिता एक क्लासिकल सिंगर थे। लता जी ने पिता से बहुत छोटी उम्र में ही शास्त्रीय संगीत सीखना शुरु कर दिया था। उन्होंने इस दौरान कभी रियाज करने में आलस नहीं किया। खुद को लगातार बेहतर बनाया। लेकिन जीवन में आगे चलकर उन्हें एक बात का मलाल रहा।

लता जी को इस बात का पछतावा था कि वह फिल्म दुनिया में आगे बढ़ते-बढ़ते शास्त्रीय संगीत से दूर हो गई। फिल्मों में उन्हें जिस टाइप के गाने गुनगुनाने होते थे उनका शास्त्रीय संगीत से दूर-दूर वास्ता नहीं था। ऐसे में वह शास्त्रीय संगीत को कम समय देने लगी थी। जबकि उनके पिता की इच्छा थी कि उनकी बेटी शास्त्रीय संगीत से हमेशा जुड़ी रहे। बस इसी बात को लेकर उनके मन में पछतावा हमेशा रहा।
