सच्चा जीवसाथी वही होता है जो हर सुख और दुख में आपके साथ खड़ा रहे। अब राजस्थान के पाली जिले के गांव खैरवा के पीएचसी में पोस्टेड डॉक्टर सुरेश चौधरी को ही ले लीजिए। सुरेश ने 25 अप्रैल 2012 को बाली की अनीता (अंजू) चौधरी से शादी रचाई थी। दोनों का एक बेटा (कुंज चौधरी) भी है।
बीते वर्ष (13 मई 2021) अंजू को कोरोना हो गया था। उसक तबीयत लगातार गिरती जा रही थी। पति ने उन्हें जोधपुर एम्स में एडमिट किया था। यहां अंजू को वेंटिलेटर पर रखना पड़ा क्योंकि उनका 95 फीसदी फेफड़ा खराब हो गया था। फिर सुरेश बीवी को अहमदाबाद के एक निजी हॉस्पिटल ले गए।

यहां अंजू को ईसीएमओ मशीन ( हार्ट और लंग्स बाहर से ऑपरेट करने वाली मशीन) पर रखा गया। उनका वजन 50 से 30 किलो हो गया था। शरीर में बस डेढ़ यूनिट खून बचा था। ईसीएमओ मशीन का रोज का खर्च एक लाख रुपए था। सुरेश किसी भी हाल में बीवी को ठीक करना चाहते थे। इस चक्कर में वे लगातार कर्ज के बिझ में दबते भी जा रहे थे।

सुरेश ने बीवी को 87 दिन तक ईसीएमओ मशीन पर रखा। इसमें उनके 1.25 करोड़ रुपए खर्च हो गए। उन्होंने अपनी एमबीबीएस की डिग्री गिरवी रख 70 लाख रुपए का लोन लिया। 20 लाख साथी डॉक्टर्स व स्टाफ ने अभियान चलाकर एकत्रित किए। 10 लाख खुद की सेविंग से लगाए। 15 लाख गाँव का प्लाट बेचकर आए। वहीं बाकी पैसे रिश्तेदारों ने दिए।

सुरेश का हार न मानना रंग लाया। जल्द उसकी बीवी के फेफड़ों में सुधार होने लगा। वह फिर से बोलने लगी। धीरे-धीरे वह ठीक हो गई और उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई।अंजू का कहना है कि उसे पति की वजह से ही दूसरा जन्म मिला है।
