सपने पूरे करने के लिए पैसे नहीं जज्बा चाहिए। अब ओबेरॉय ग्रुप के संस्थापक और चेयरमैन राय बहादुर मोहन सिंह ओबरॉय को ही ले लीजिए। आज के पाकिस्तान (Pakistan) के झेलम (Jhelum) जिले के भनाउ गाँव में मोहन सिख परिवार (Sikh Family) से ताल्लुक रखते हैं। वह जब 6 माह के थे तब पिता चल बसे थे। मां ने जैसे तैसे उन्हें पाल-पोस कर पढ़ाया। शिक्षा के लिए वे पाकिस्तान के रावलपिंडी (Ravalpindi) शहर गए थे।
नौकरी के लिए उन्होंने बहुत हाथ पैर मारे। पहले एक जूते के कारखाने में काम किया लेकिन बदकिस्मती से वह कुछ दिनों में बंद हो गया। इस बीच परिवार ने उनकी शादी कोलकाता के एक परिवार से करवा दी। उनके पास तब पैसा और नौकरी नहीं थी, लेकिन उनके ससुर ने मोहन की पर्सनलिटी देख बेटी का हाथ दे दिया।

ससुराल में एक दिन उन्हें न्यूज पएपेर में क्लर्क की नौकरी का विज्ञापन दिखा। इसे में वह जॉब के लिए शिमला चले गए। तब मां ने जाने से पहले उनके हाथ में 25 रुपए दिए। ये उनके बड़े काम आए। मोहन ने परीक्षा देकर जॉब हासिल कर ली। उन्हें होटल में क्लर्क के रूप में 40 रुपए महिना मिलने लगा। बाद में उनके अच्छे काम को देख ये पगार 50 रुपए महिना हो गई।
"You must never accept anything that is second best".
-The Late Rai Bahadur Mohan Singh Oberoi, our founder. #quote pic.twitter.com/hAKj3O1Er0— Oberoi Hotels & Resorts (@OberoiHotels) May 3, 2015
उनकी मेहनत और लग्न देख पूरे होटल में उनकी एक अलग पहचान बन गई थी। इस बीच होटल के मैनेजर ने मोहन सिंह ओबरॉय को 25,000 रुपए में होटल बेचना चाहा। मोहन ने ये मौका हाथ से नहीं जाने दिया और पैतृक संपत्ति और पत्नी के जेवर सभी गिरवी रख 4 सालों में होटल मैनेजर को सारी रकम दे दी। वे 4 अगस्त 1934 को होटल सिसिल के मालक बन गए।
#OberoiBestInTheWorld Rai Bahadur Mohan Singh Oberoi, founding chairman @OberoiGroup we salute you sir. pic.twitter.com/uarIZtDrp6
— Sameer Singh (@sameermaximus09) August 11, 2016
इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और ओबेरॉय ग्रुप की स्थापना की। उन्होंने एक के बाद एक 30 होटल और 5 बड़े होटल खोले। वर्तमान में ओबेराय ग्रुप का विश्व के 6 देशों में नाम है। उनके पास 7 हज़ार करोड़ की संपत्ति है।