संतान नहीं हो रही थी, फिर रामायण में मिला त्रिजटा का रोल और बन गई मां, पढ़ें चमत्कारी कहानी

रामानंद सागर की ‘रामायण’ को सबसे बेस्ट रामायण का चित्रण माना जाता है। इसका हर किरदार हमारे दिल और दिमाग में बसा हुआ है। इसमें त्रिजटा का किरदार निभाने वाली महिला विभूति परेश चंद्र दवे खूब चर्चा में रही थी।



दरअसल विभूति की कोई संतान नहीं थी, लेकिन रामायण में काम करने के बाद उनके घर बेटी का जन्म हुआ था। ऐसे में उनका और बाकी लोगों का यही कहना था कि रामायण में काम करने की वजह से ही उनके घर बेटी हुई है।



बता दें कि त्रिजटा एक राक्षसी थी जो रावण के सीता हरण के बाद अशोक वाटिका में सीता का ख्याल रखती थी। त्रिजटा भले राक्षस कुल की थी लेकिन उसका दिल एक मां का था। वह सीता के हर दुख में शामिल रहती थी।



त्रिजटा का रोल करने वाली विभूति गुजरात के सूरत की रहने वाली थी। वह बहुत गोरी थी, लेकिन राक्षसी का रोल करने के लिए उन्हें मेकअप से काला होना पड़ता था।



विभूति का एक्टिंग से कोई नाता नहीं था। उन्हें रामायण में रोल लक से मिला। वह अपने गरबे ग्रुप के साथ उमरगांव गई थी। यहां रामानंद सागर अपने सीरियल रामायण की शूटिंग कर रहे थे। इस दौरान उन्हें विभूति का बोलने का अंदाज बहुत पसंद आया। ऐसे में उन्होंने विभूति को त्रिजटा का रोल ऑफर किया।



विभूति एक पढ़ी लिखी और समझदार महिला थी। वह ज्योतिष विद्या भी जानती थी। रामानंद सागर उनसे बहुत इंप्रेस हुए थे। 13 अगस्त, 2006 को दिल का दौरा पड़ने से विभूति का निधन हो गया था।