टेप रिकॉर्डिंग में ऐसा क्या कहा था नर्गिस ने, कि घंटों फूट फूट कर रोये थे संजय दत्त, उसके बाद बदल गयी जिन्दगी

संजय दत्त पर बनी फिल्म संजू ने कई अवार्ड जीते थे. इस फिल्म को लोगों ने काफी सराहा था और संजय दत्त के जीवन संघर्ष के बारे में चर्चा शुरू हो गई थी. इसी फिल्म में संजय दत्त की मां नरगिस दत्त के बारे में भी बताया गया था. नरगिस दत्त और संजय दत्त के बीच कुछ ऐसा था कि दोनों मां-बेटे एक दूसरे को बेहतरीन तरीके से समझते थे. इन दिनों सोशल मीडिया पर एक इंटरव्यू काफी वायरल हो रहा है, जिसमें संजय दत्त अपनी मां के पुराने टेप रिकॉर्डिंग को सुनते हुए भावुक हो जाते हैं.



फिल्म रॉकी से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले संजय दत्त की पहली ही फिल्म बॉक्स ऑफिस पर काफी हिट रही थी. लेकिन अफसोस की बात है कि फिल्म के रिलीज से ठीक पहले कैंसर की वजह से नरगिस दत्त का निधन हो गया था. अपने भाई बहनों में सबसे ज्यादा लाड प्यार से पले संजय दत्त को मिला था. इसलिए नर्गिस दत्त की मौत से उन्हें बहुत गहरा धक्का लगा था. अपनी मां को याद करते हुए वह आज भी भावुक हो जाते हैं. जिस औरत ने अपने परिवार, अपने बच्चों के लिए अपने स्टारडम को छोड़ दिया, अपने बेटे को सबसे ज्यादा प्यार दिया और उसे इस लायक बनाया कि वह दुनिया में खुद के दम पर अपनी पहचान बना सके, वह दुनिया छोड़कर जा चुकी थी.



हाल ही में संजय दत्त के इंटरव्यू का एक वीडियो देखा जा रहा है, जिसमें वह अपनी मां की रिकॉर्ड की हुई बातों का जिक्र कर रहे हैं. संजय दत्त ने बताया कि जब पहली बार उन्होंने रिकॉर्डिंग सुना था, तो वह फूट-फूटकर रो पड़े थे. उन्होंने कहा कि “मैंने अपनी मां की आवाज पहली बार तब सुनी थी, जब मैं न्यूयॉर्क के एक अस्पताल में था. ऑडियो रिकॉर्डिंग में मां बता रही थी कि वह मुझसे कितना प्यार करती है. उन्होंने मेरा कितना ख्याल रखा हैं. उसके बाद मैं चार-पांच घंटे तक रोया था.”



वॉइस रिकॉर्डिंग में नरगिस कहती है कि “किसी भी चीज से ज्यादा, संजू, अपनी विनम्रता बनाए रखना. अपना चरित्र अच्छा रखना. कभी दिखावा मत करना. हमेशा विनम्र रहना और हमेशा बड़ों का सम्मान करना. यही वह चीज है जो आपको बहुत आगे तक ले जाने वाली है और वही आपको आपके काम में ताकत देने वाली है. नरगिस के इस संदेश में संजय दत्त के जीवन को बदल कर रख दिया था.



2018 के एक इंटरव्यू में संजय दत्त ने अपनी मां के बारे में खुलकर बात करते हुए कहा था कि, “सबसे महत्वपूर्ण बात एक अच्छा इंसान बनना है. उनकी मां ने उन्हें सिखाया है कि बाकी सब कुछ उसके बाद याद आता है. सबसे पहले एक अच्छा इंसान याद आता है. अपने माता पिता से मैंने यही सीखा है. मैं अपने बच्चों को भी इसे बता रहा हूं. मुझे आशा है कि मेरी पत्नी मेरे बच्चों को मेरी मां की तरह लाड प्यार करती है. मेरी पत्नी मुझसे कहती है कि जब बच्चे बड़े होने लगते हैं, तब माता-पिता से नफरत करते हैं, तो वहां उनके पालन पोषण में कुछ गड़बड़ है. मैं अपने बच्चों के लिए सख्त और नरम दोनों हूँ.



संजय दत्त और नरगिस के बीच का बंधन बेहद संवेदनशील था. इस बात का एहसास संजय दत्त को काफी बाद में हुआ और इस वक्त उनके पास सिवाए अफसोस करने के और कोई चारा नहीं था.