गणेशजी हर दुख दूर करने के लिए जाने जाते हैं। यदि आपकी लाइफ में दुख अधिक हैं तो शंकराचार्य द्वारा रचित ‘गणेश पंचरत्न स्तुति’ का पाठ अवश्य करें। इसे आप बुधवार या महीने की किसी भी चतुर्थी पर कर सकते हैं। इस स्तुति का पाठ करने और व्रत रखने से न सिर्फ दुख दूर होते हैं बल्कि मनचाही कामना भी पूर्ण होती है।
पूजा विधि
स्तुति पाठ वाले दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई कर लें। नहाते समय पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिल लें। स्नान के बाद पीले या लाल सिंदूरी रंग के वस्त्र पहन श्री गणेश व्रत का संकल्प लें। अब एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर गणपति की मूर्ति स्थापित करें। अब गणेशजी को हल्दी वाले अक्षत, पीले पुष्प, रोली, धूप, दीप और लड्डू चढ़ाएं। इसके पश्चात गणेश मंत्रों का जाप कर व्रत कथा पढ़ें। दिनभर व्रत रखें और रात को चंद्र दर्शन कर अर्घ्य दें। इसके बाद आप फलाहार कर सकते हैं। अगले दिन स्नान व पूजन के बाद व्रत का पारण कर दें।
ये है गणेश पंचरत्न स्तोत्र
मुदा करात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं कलाधरावतंसकं विलासिलोकरञ्जकम्,
अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम्.
नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं नमत्सुरारिनिर्जकं नताधिकापदुद्धरम्,
सुरेश्वरमं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम्.
समस्तलोकशंकरं निरस्तदैत्यकुञ्जरं दरेतरोदरं वरं वरेभवक्त्रमक्षरम्,
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं नमस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम्.
अकिंचनार्तिमार्जनं चिरंतनोक्तिभाजनं पुरारिपूर्वनन्दनं सुरारिगर्वचर्वणम्,
प्रपञ्चनाशभीषणं धनंजयादिभूषणं कपोलदानवारणं भजे पुराणवारणम्.
नितान्तकान्तदन्तकान्तिमन्तकान्तकात्मजमचिन्त्यरुपमन्तहीनमन्तरायकृन्तनम्,
हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि संततम्.
महागणेश पञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं प्रगायति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम्,
अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां समाहितायुरष्टभूतिमभ्युपैति सोऽचिरात्.