प्रतिभा कभी भी किसी शारीरिक क्षमता की मोहताज नहीं होती. इसका जीता जागता प्रमाण यह है कि टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए पदको की बारिश हो रही है. यह पदक लाने वाले लोग किसी न किसी तरीके से शारीरिक रूप से अक्षम है. जिन्हें भारत की संवैधानिक भाषा में दिव्यांग कहा जाता है. टोक्यो पैराओलंपिक में भारत ने अब तक पांच स्वर्ण पदक, 8 सिल्वर पदक और 6 कांस्य पदक जीते हैं और कुल मिलाकर भारत की झोली में इस प्रकार से 19 पदक आ चुके हैं.
11वे दिन टोक्यो पैराओलंपिक में उड़ीसा के प्रमोद भगत ने SL3 केटेगरी के फाइनल में ब्रिटेन के डेनियल बेथल को हराकर बैडमिंटन का स्वर्ण पदक जीता. यह पहली बार है जब लगभग 50 वर्षों से खेले जा रहे हैं पैराओलंपिक्स में बैडमिंटन को शामिल किया गया है, जिसमें भारत में धूम मचाया है. स्वर्ण पदक को देश में लाने के बाद सभी प्रमोद के बारे में जानना चाहते हैं. लोग जानना चाहते हैं कि कैसे एक दिव्यांग व्यक्ति ने वो कर दिखाया, जो आज देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है. आइए हम आपको बताते हैं प्रमोद के जीवन-संघर्ष के कुछ वैसी बातें, जिसे लोग जानना चाहते हैं.

प्रमोद भगत शुरू से ही खेलों के प्रति काफी उत्सुक रहे हैं. अपने स्कूल के दिनों में भी उन्हें क्रिकेट, बैडमिंटन कैसे खेलते काफी लगाव था. क्रिकेट में तो वह अपने टीम के सलामी बल्लेबाज हुआ करते थे. लेकिन कहते हैं ना, किस्मत को शायद उनका बल्ला लेकर दौड़ना मंजूर नहीं था. किसी दिन प्रमोद ने गली में बच्चों को बैडमिंटन खेलते हुए देख लिया. उन्हें यह खेल भी भा गया. उसके बाद एक बैडमिंटन लेकर प्रमोद बैडमिंटन कोर्ट में पहुंच गए. वही से उन्होंने अपने बैडमिंटन के कैरियर की शुरूआत की और आज वह उस मुकाम पर है जहां पहुंचना हर खिलाड़ी का सपना होता है.

15 साल की उम्र में प्रमोद ने पहली बार बैडमिंटन टूर्नामेंट में हिस्सा लिया. लेकिन वहां पैराओलंपिक कैटेगरी न होने की वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. उड़ीसा के बारगढ़ जिले के अत्ताबीरा के रहने वाले प्रमोद भगत जब 5 साल के थे, तब उन्हें पोलियो जैसी गंभीर बीमारी का शिकार होना पड़ा. उनके बाएं पैर ने काम करना बंद कर दिया और तब से सबको ऐसा लगने लगा कि अब प्रमोद अपने जीवन में कुछ नहीं कर पाएंगे. लेकिन कहते हैं ना पंखों से नहीं हौसलों से उड़ान होती है. प्रमोद ने इसे अपनी कमजोरी के बजाय अपनी ताकत बना ली. आखिरकार पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर यह साबित कर दिया कि लंबा चलने के लिए पैरों की जरूरत नहीं होती, बल्कि एक इच्छा शक्ति होनी चाहिए.
प्रमोद की जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें बधाई दी है. नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा, “प्रमोद भगत ने पूरे देश का दिल जीत लिया है. वह चैंपियन है. इनकी जीत से लाखों लोगों को प्रेरणा मिली है. उन्होंने उल्लेखनीय प्रदर्शन और दृढ़ संकल्प का परिचय दिया है. उनको बधाई और भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं.”
Pramod Bhagat has won the hearts of the entire nation. He is a Champion, whose success will motivate millions. He showed remarkable resilience & determination. Congratulations to him for winning the Gold in Badminton. Best wishes to him for his future endeavours. @PramodBhagat83
— Narendra Modi (@narendramodi) September 4, 2021
आपको बता दें कि प्रमोद ने ना सिर्फ पैरालंपिक में गोल्ड जीता है, बल्कि इसके पहले वह दुनिया के कई बड़े टूर्नामेंट जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं और इस समय दुनिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी हैं. वह चार बार वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप का खिताब जीत चुके हैं