यमराज से लड़ने के लिए मैराथन दौड़ी 60 साल की यह महिला, जाने फिर क्या हुआ ?

कहते हैं पत्नी से बड़ा कोई हमसफ़र नहीं होता. जिंदगी जीने के लिए अगर एक मजबूत बुनियाद की जरूरत होती है तो उसका आधार पत्नी का ही बनाती है. दोनों का रिश्ता एक ऐसा बंधन है, जिसमें दोनों एक-दूसरे के लिए जीते हैं. सुख दुख में साथ निभाते हैं और एक दूसरे की हर छोटी बड़ी खुशी का ख्याल रखते हैं.



भारत जैसे देश में महिलाएं अपने पति को सही सलामत रखने के लिए कुछ भी कर गुजरती हैं. पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि अपने पति की सुरक्षा के लिए महिलाएं यमराज से भी लड़ जाती हैं. आज हम आपको इस कलयुग में भी ऐसी पतिव्रता महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने पति की जान बचाने के लिए मैराथन दौड़ गई.



महाराष्ट्र के बारामती जिले के एक गांव की रहने वाली 60 साल की वृद्ध महिला लता खरे वह महिला है, जिन्होंने अपने पति की खातिर यमराज से लोहा ले लिया. 60 साल की उम्र में लता खरे ने मैराथन में हिस्सा लिया. इसकी वजह थी अपने पति की जान बचाने के लिए पैसे जुटाने की जिद.



आपको बता दें कि लता खरे के पति काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे. लता के पास इतने पैसे पर्याप्त नहीं थे कि अपने पति का इलाज करवा पाती. ऐसे में पास के गाँव में मैराथन का आयोजन हुआ, जिसमें वह हिस्सा लेने पहुंच गयी.  60 साल की उम्र में लता ने मैराथन दौड़ा भी, और उसे जीता भी और पैसे भी कमाए.



आपको बता दें कि लता खरे के नाम कई रिकॉर्ड दर्ज है. अब तो उनके ऊपर मराठी फिल्म भी आ चुकी है, जिसका नाम लता भगवान करे था. यह फिल्म आज भी किसी के लिए प्रेरणा से कम नहीं है. साल 2014 तक उन्हें कोई नहीं जानता था, परंतु जैसे ही उन्होंने मैराथन में हिस्सा लिया, वह मैराथन रनर के नाम से लोकप्रिय हो गई.



लता के पति बीमार थे और उन्हें इलाज के लिए रुपयों की सख्त जरूरत थी. उनके पति का एमआरआई स्कैन (MRI Scan) होना था, जिसके लिए लता के पास पैसे नहीं थे. तब किसी ने बताया कि पास के गांव में मैराथन हो रहा है, जिसमें जीत जीतने पर ₹5000 का नगद इनाम है. फिर क्या था लता ने उस में हिस्सा ले लिया. साड़ी और चप्पल के साथ वह और बूढी अम्मा खूब दौड़ी और मैराथन जीत गयी.



इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. फिर तो आसपास जितने भी मैराथन होते थे, लता उनमें हिस्सा ले लेती और जीत भी जाती. जीवन भर खेती करके, मजदूरी करके अपना जीवन चलाने वाली लता आज कई धावकों की प्रेरणा स्रोत है. इनके जज्बे को हर खिलाड़ी सलाम करता है. जो भी लता को देखता है यही कहता है की मजबूरियां इंसान को किसी भी रफ्तार से किसी भी मंजिल तक दौड़ना सिखा देती है.