घास फूस के बने झोपड़ी में किया गुजारा,मां-बाप करते थे मजदूरी,गरीबी को हराकर DSP बने संतोष,जाने संघर्ष की कहानी

कहते हैं ना अगर हौसला मजबूत हो तो मुश्किल है रास्ता नहीं रोक सकती आज हम आपको ऐसे ही एक कहानी बताने वाले हैं. एक लड़का जिसका जन्म नदी के किनारे उसके घर में हुआ गरीबी इतनी थी कि घर में खाने के दाने नहीं थे. जब घर में कोई गेस्ट आता था तो बच्चे को लगता था कि घर में आज कुछ अच्छा खाने को मिलेगा.



पिता खुद झोपड़ी में रहते थे लेकिन वह दूसरों को बिल्डिंग बनाते थे क्योंकि वह राजमिस्त्री थे और मां खेतों में मजदूरी करती थी. किताब खरीदने के भी पैसे नहीं थे लेकिन पुरानी किताबें पढ़कर ही बेटा डीएसपी बन गया.



कुछ समय पहले एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक डीएसपी खेत में अपनी मां से मिलने गया था जी हां हम उसे डीएसपी संतोष पटेल की बात कर रहे हैं जो कि 5 साल की कड़ी मेहनत के बाद वर्दी लिए. आपको बता दें कि ग्वालियर से 50 किलोमीटर दूर घाटीगांव में बताओ और सब डिविजनल पुलिस ऑफिसर तैनात डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ़ पुलिस संतोष पटेल ने बताया कि वह काफी संघर्षों का सामना करके यहां तक पहुंचे हैं.



संतोष पटेल ने बताया कि उनकी मां पेट पालने के लिए दूसरों के घरों में खेतों में काम करती थी और उनका घर जंगल इलाका में था बगल से नदी बहती थी इसलिए खेती नहीं हो पाती थी खाने के लिए हम अनाज भी काफी मुश्किल से जुटा पाते थे. संतोष पटेल ने काफी संघर्ष किया और बताया कि मैं एक बिस्किट के लिए भी होता था लेकिन आज अपने संघर्ष की बदौलत में डीएसपी बन गया.

घास फूस के बने झोपड़ी में किया गुजारा,मां-बाप करते थे मजदूरी,गरीबी को हराकर DSP बने संतोष,जाने संघर्ष की कहानी.