आंखों की रोशनी खोने पर भी नहीं मानी हार, ऐसे बनी भारत की पहली नेत्रहीन महिला IAS

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है। जीवन में सफलता वही हासिल करता है जो अपनी कमियों को अपनी ताकत बना लेता है। अब भारत की पहली नेत्रहीन महिला आईएएस अफसर प्रांजल पाटिल की कहानी ही ले लीजिए। प्रांजल जब 6 साल की थी तो एक हादसे में उनकी आँखों की रोशनी चली गई थी। हालांकि इसके बावजूद उन्होंने अपने सपनों के आगे अंधेरा नहीं छाने दिया।



प्रांजल पाटिल मूल रूप से महाराष्ट्र के उल्लासनगर की रहने वाली हैं। उन्होंने मुंबई के दादर स्थित श्रीमती कमला मेहता स्कूल से 10वीं तक पढ़ाई की। यहाँ प्रांजल जैसे खास बच्चों को रेल लिपि में पढ़ाया जाता है। उन्होंने चंदाबाई कॉलेज से आर्ट्स में 85 फ़ीसदी अंक से 12वीं पास की। फिर मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से अपना ग्रेजुएशन पूर्ण किया। इस दौरान यूपीएससी का एक आर्टिकल पढ़ वे इस दिशा में आगे बढ़ने को प्रेरित हुई।



प्रांजल पाटिल ने जेएनयू से MA किया। फिर उन्होंने एमफिल इन टेक्नोलॉजी में डिग्री लेकर पीएचडी भी की। इस दौरान उन्होंने JAWS सॉफ्टवेयर बनाया। ये नेत्रहीन लोगों को क्रीन पर टेक्स्ट टू स्पीच आउटपुट के साथ एक रिफ्रेशेबल ब्रेल डिसप्ले के साथ स्क्रीन पढ़ने में मदद करता था।



प्रांजल पाटिल ने साल 2016 में पहली बार यूपीएससी की परीक्षा देकर उसमें ऑल इंडिया 773 रैंक हासिल की। हालांकि दृष्टिबाधित होने के चलते उन्हें रेलवे अकाउंटेंट्स सर्विस की जॉब मिली। वे इससे संतुष्ट नह हुई और 2017 में फिर से यूपीएससी देकर ऑल इंडिया 124वीं रैंक हासिल की। हैरत की बात ये रही कि यूपीएससी की तैयारी के दौरान उन्होंने कोचिंग नहीं लगाई। उन्होंने किताबें पढ़ने वाले सॉफ्टवेयर, मॉक टेस्ट पेपर और डिस्कशन से यूपीएससी क्रैक की।