पुराने जमाने की वो चीजे, जिसे आज की पीढ़ी महसूस तक नहीं कर पाएगी.. क्या आपको याद है ?

समय के साथ जमाना बदल रहा है. लोग आधुनिक होते जा रहे हैं. ऐसे में इस सदी जवान लोगों का वह बचपन कहीं बहुत पीछे छूट गया है, जिसमें एकजुटता दिखती थी. गली के सारे बच्चों का जमा होकर गिल्ली डंडा खेलना या फिर घर के सारे सदस्य का है बैठकर कैरम खेलना आधुनिक युग में मोबाइल पर ऑनलाइन गेम्स के रूप में बदल चुका है. व्यक्तिवाद को बढ़ावा मिला है और लोग अलग अलग रहना है सीखते जा रहे हैं. ऐसे में जिंदगी में अवसाद और एकाकीपन घर करता जा रहा है.



इंसान अपने आप में सिकुड़ता जा रहा है और दूसरों के सामने खुलकर एक्सप्रेस करने में कमजोर होता चला जा रहा है. आज हम उन्हीं बचपन के कुछ चीजों की बात करेंगे, जिसे अपनी जवानी के इस पड़ाव पर हर कोई मिस कर रहा है और चाहता है कि फिर से एक बार वह दिन वापस आ पाते.



सबसे ज्यादा याद आने वाली कोई चीज है तो वह है घर के सारे सदस्यों का एक साथ बैठकर कोई खेल खेलना. जैसे कैरम, लूडो इत्यादि. आज मोबाइल पर PUBG है, वैसे तो मोबाइल में लूडो और कैरम भी है, लेकिन वह भी लोग अपने अपने घरों में बैठकर अलग-अलग कमरों में ऑनलाइन खेल लेते हैं.



वह म्यूजिक कैसेट याद होगा आपको, जिसमें किस तरह से कलम से घुमा-घुमा कर उसके रील को ठीक करते थे. गाने को रिवाइंड बटन और फॉरवर्ड बटन के बीच रिपीट मोड पर किसी गाने को सुनते थे. उस साउंड सिस्टम में लगी डिस्को लाइट्स भी बच्चों में अलग आकर्षण का केंद्र हुआ करती थी. तब मोबाइल म्यूजिक ऐप नहीं हुआ करते थे और अपने मनपसंद गाने को सुनने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी.



आधुनिक दौर में हमारे घरों से पुरानी बुजुर्गों वाली साइकिल भी गायब होती चली जा रही है. हालांकि अब आधुनिक और नई तकनीक वाली रेंजर साइकिल ने उसकी जगह ले ली है, लेकिन वह दादाजी वाली साइकिल, जिसमें बड़े-बड़े पहिए हुआ करते थे और जिसमें छोटे बच्चे बीच से पांव निकाल कर निचली साइकिल चलाया करते थे, वह सब आने वाली पीढ़ी को याद तक नहीं रह पायेगा.



वीडियो गेम का सेटअप, टीवी पर वायर कनेक्शन करके वीडियो गेम खेलना हर बच्चे को पसंद होता था. उस ज़माने में मारियो, रोड फाइटर और कई फाइटिंग गेम्स काफी चर्चित हुआ करते थे. बच्चे बैठ कर टीवी पर गेम सेटअप लगाकर खेला करते थे.



उस जमाने में कॉमिक्स का भी काफी क्रेज हुआ करता था. आज भले ही आपके पास यूट्यूब पर हजारों कार्टून और कॉमिक्स के एनीमेटेड वर्जन देखने को मिल जाते हैं. लेकिन तब बच्चों के सुपरहीरो आयरन मैन, स्पाइडर मैन नहीं हुआ करते थे, बल्कि नागराज, सुपर कमांडो ध्रुव, परमाणु, डोगा जैसे सुपर हीरो ही उन्हें कुछ अच्छा और बेहतर करने की प्रेरणा देते थे.



एक और चीज है जो आने वाली पीढ़ी को शायद देखने को ना मिले. वह है टीवी का एंटीना. जब कभी अपना पसंदीदा कार्यक्रम आने वाला हो और जरा सी हवा चल जाए, तो चैनल गायब हो जाता था. तब छत पर चढ़कर घंटों एंटीना को बच्चे हिलाते रहते थे. सही डायरेक्शन में घुमा कर टीवी पर अपने सीरियल को साफ-साफ देखने की जद्दोजहद में पूरा दिन निकल जाता था. आज की ये डीटीएच वाली पीढ़ी उन दिनों को कभी महसूस नहीं कर पाएगी.



ऐसी कई सारी चीजें हैं, जैसे मिट्टी तेल का स्टोव, 100 वाट का बल्ब, डाकघर का वह लाल रंग का लेटर बॉक्स और तो और वह अंग्रेजों के जमाने का बड़ा सा मोटा-सा स्विच. ये सब चीजें आधुनिकता के दौड़ में कहीं पीछे, बहुत पीछे छूट गई है, जो अब देखने को भी नहीं मिलती.