मरने के बाद आत्मा का आखिर होता क्या है, कितने प्रकार के होते हैं नरक, सब जवाब है इस किताब में…

हिन्दू सनातन धर्म दुनिया का सबसे समृद्ध और पुरातन धर्म है. इसके वैदिक धर्म भी कहते हैं और इसके सिद्धांतों और कई मान्यताओं की पुष्टि विज्ञान भी करता है. अक्सर लोग इस मृत्युलोक के बाद की बातें जानना चाहते हैं. वह जानना चाहते है कि मृत्यु के बाद लोग का क्या होता है. उनके शरीर को तो जला दिया जाता है, लेकिन उनके आत्मा का उसके बाद क्या होता है.



हिन्दू उपनिषद गरुड़ पुराण में इसका जिक्र हैं. भगवान विष्णु और गरुड़ के बीच एक विस्तृत चर्चा का जिक्र इस उपनिषद में किया गया है, जिसे पढने के बाद आत्मा के सिद्धांत पर तमाम तरह की भ्रांतियां दूर हो जाती है. मरने के बाद किसी आत्मा को कैसे स्वर्ग मिलता है और किस तरह के व्यभिचारों से ग्रसित आत्मा को नरक की प्रताड़ना झेलनी पड़ती है, इसका भी जिक्र गरुड पुराण में किया गया है. आज हम आपको उसी रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं.



गरुड़ पुराण मूलतः भगवान विष्णु और पक्षिराज गरुड़ के बीच का संवाद है, जिसमें भगवान विष्णु ने जीवन-मरण और प्रत्येक सवाल का विस्तार से जवाबी दिया है. इसमें भगवान विष्णु कहते हैं कि कुल 84 लाख प्रकार के नरक होते हैं. इनमें भी कुछ नरक बेहद दुखद है और कठोर प्रताड़ना देने वाले है. ऐसे नरकों की संख्या 21 हैं. वह है- तामिस्र, लोहशंकु, महारौरव, शल्मली, रौरव, कुड्मल, कालसूत्र, पूतिमृत्तिक, संघात, लोहितोद, सविष, संप्रतापन, महानिरय, काकोल, संजीवन, महापथ, अविचि, अंधतामिस्र, कुंभीपाक, संप्रतापन और तपन।



इन नरकों में वही पापी मनुष्य आते हैं, जिनके जिन्दगी में पाप का भार अत्यधिक होता है. इस मौके पर उनके पापो का दस्तावेज खोला जाता है,म जहाँ इनके कर्मों का हिसाब होता है. नरक जाने से पहले पापी आत्मा को चित्रगुप्त के सामने प्रस्तुत किया जाता है. जब भी कोई यम किसी आत्मा को मृत्युलोक से लेकर नरक की तरफ आता है तो उसे चित्रगुप्त के सामने उसके कर्मों का बही-खाता पेश करना पड़ता है.



इस हिसाब किताब के दौरान यम उस आत्मा के अच्छे और बुरे कर्मों को बारी बारी से गिनवाते हैं. सब कर्मों का लेखा जोखा करने के बाद यह तय किया जाता है कि इसको स्वर्ग भेजा जाए या नरक. और अगर नरक भी भेजा जाये तो किस हद तक प्रताड़ना वाले नरक में इसके पापो का काट संभव होगा, यह भी निर्धारित किया जाता है.



गरुड़ पुराण के अनुसार ऐसे लोग नरक भोगते है, जो आजीवन स्वार्थ और लोभ में जीते है. दूसरों का अहित करते हैं और उनका दिल दुखाते है. जो लोग अपार धन संपदा अर्जित करने के बाद भी समाज के लिए, मानव जाती के लिए सकरात्मक कार्यों में संलिप्त नहीं होते, वह नरक के भागी बनते है और उन्हें कई सौ सालों तक नरक में दंड सहन करना होता है.