अघोरी (Aghori) भगवान शिव के परम भक्त कहलाते हैं। कहते हैं शिवजी ने ही दुनिया को तंत्र मंत्र का ज्ञान दिया है। महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) के अवसर पर हम आपको अघोरियों की रहस्यमयी दुनिया से जुड़ी कुछ दिलचस्प बाते बताने जा रहे हैं।
अघोरी का अर्थ है वह जो घोर नहीं है। मतलब जो सरल, सहज, सभी को समानता से देखने वाला और भेदभाव न करने वाला हो। अघोरी में अच्छे बुरे का भाव नहीं होता है। इसलिए वह सड़े हुए मांस को भी उतने स्वाद से खाते हैं जैसे कोई स्वादिष्ट भोजन को खाते हैं।

अघोरी गाय का मांस छोड़ हर चीज खा लेते हैं। वे मानव मल, मूत्र से लेकर मुर्दे का मांस तक खाने में संकोच नहीं करते हैं। वे श्मशान में रहना पसंद करते हैं क्योंकि यहाँ लोग आकर उन्हें डिस्टर्ब नहीं करते। मान्यता है कि श्मशान में की गई साधना जल्दी सिद्ध होती है। वे श्मशान में कुटिया बनाकर भी रहते हैं।

अघोरी हठी स्वभाव के होते हैं। उन्हें गुस्सा भी बहुत आता है जिसके चलते उनकी आँखें लाल रहती है। हालांकि मन से वे शांत भी होते हैं। वे आम दुनिया से कटकर रहना पसंद करते हैं।
अघोरी सामान्यत तीन टाइप की साधनाएं शिव साधना, शव शाधना, और श्मशान करते हैं। शिव साधना में शव के ऊपर पैर रख खड़े होकर साधना की जाती है। साधना का मूल शिव की छाती पर पार्वती द्वारा रखा हुआ पाँव है।

शव साधना भी इसी तरह होती है बस उसमें मुर्दे को प्रसाद के रूप में मांस और मदिरा चढ़ता है। श्मशान साधना में आम परिवारजन शामिल हो सकते हैं। इसमें मुर्दे की बजाय शवपीठ की पूजा की जाती है। वहीं स-मंदिरा की बजाय गंगा जल और मावा का प्रसाद चढ़ता है।