प्रयागराज: भारत भूमि आश्चर्यों से भरी हुई है. हमारे ग्रंथों और काव्यों में कई ऐसी घटनाओं का जिक्र है, जिसे पढ़कर और सुनकर अलौकिक अशक्तियों का आभास होता है. मां गंगा के बारे में भी ऐसी कई कथाएं प्रचलित है. लेकिन अगर कलयुग में अगर ऐसी कोई घटना साक्षात देखने को मिल जाए तो अंतर्मन से जयकारे अपने आप निकल पड़ते हैं.
उत्तरप्रदेश की संगम नगरी प्रयागराज में एक फिर कुछ ऐसा हुआ है कि जिसे देख कर तमाम लोग माँ गंगा और संकट मोचन महावीर बजरंगबली के जयकारे लगा रहें है. पुजारियों ने जो कहा और भक्तों ने जो देखा वो अलौकिक है, अद्भुत है. जगत को पावन करने वाली मां गंगा ने त्रिवेणीबाँध में प्रवेश किया. गंगा मईया ने ना सिर्फ मंदिर में प्रवेश किया बल्कि लेटे हुए हनुमान जी की प्रतिमा का जलाभिषेक भी किया और उन्हें स्नान कराया.
मंदिर का चौखट पार कर मंदिर में आ गयी गंगा मईया
आइये, आपको इस दैवीय घटना के बारे में जरा विस्तार से बताते हैं. दरअसल प्रत्येक वर्ष सावन के मौसम में जीवन दायनी मां गंगा का जलस्तर बढ़ जाता है. हर साल वह प्रयागराज स्थिति श्री लेटे हुए हनुमान जी के मंदिर की चौखट को स्पर्श कर वापस अपनी धारा के साथ बंगाल की खाड़ी की ओर प्रस्थान कर जाती है. लेकिन इस बार कोरोना महामारी के समय में गंगा मईया श्री हनुमान को जलाभिषेक करने के इरादें से मंदिर में दाखिल हो गयी.

बृहस्पतिवार को नदी का बढ़ता हुआ जलस्तर चौखट को लांघ कर मंदिर में प्रवेश कर गया. मां गंगा मंदिर परिसर के कोने कोने में प्रवाहित होने लगी. हालांकि स्थानीय लोगों को दो दिन पहले ही अंदाजा हो गया था कि जिस हिसाब से नदी का जलस्तर बढ़ रहा है, उस हिसाब से जल्द ही मंदिर में पानी प्रवेश कर जाएगा, लेकिन ये किसी ने न सोचा था कि पानी बढ़ते हुए कमर तक की ऊँचाई छू लेगा.
गंगा मईया बढती ही जा रही थी और मंदिर के पुजारियों समेत आने जाने वाले लोगों की चिंता की लकीरे भी. एक घड़ी को ऐसा लगने लगा था कि अब मंदिर जल समाधि लेकर ही रहेगी. किसी ने नहीं सोचा था कि अबकी बरस माँ गंगा श्री हनुमान से मुलाक़ात करने को उत्सुक हैं बस.

शाम के समय में पुजारियों ने गंगा आरती की और भूल चूक की माफ़ी भी मांगी. लेकिन देखते ही देखते कुछ ही घंटों में गंगा का पानी कमर से ऊपर पहुँच गया और पूरा मन्दिर जल मंदिर में रूपांतरित होने लगा. सुरक्षा दृष्टि को ध्यान में रखते हुए मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए.
जलाभिषेक के बाद कम हो गया जलस्तर का बढना
गंगा मईया लेटे हुए हनुमान जी के बराबर पहुँच गयी. देखते ही देखते हनुमान जी गंगा मईया की गोद में स्नान करने हेतु विलीन हो गए. कहा जा रहा है कि बजरंगबली के जल में प्रवेश के बाद जलस्तर का बढना स्थिर हो चुका है, लेकिन कपाट अभी भी बंद रखे गये हैं. जलस्तर में कमी आने के बाद ही इसे पुनः खोला जाएगा.
इस विहंगम दृश्य के बाद श्रद्धालुओं का संकटमोचन में विश्वास और भी प्रगाढ़ हो गया. मंदिर के बाहर जिसने भी इस घटना के बारे में सुना उसने जय बजरंगबली, जय गंगा मईया के नारे लगाए और इस दिव्या घटना को नमन किया. सभी को इस बात का आश्चर्य है कि बढ़ता हुआ जलस्तर हनुमान के जल में प्रवेश करते ही थम सा गया है. वाकई, गंगा मईया सिर्फ बजरंगबली को जलाभिषेक करवाने ही आयी है. पुजारियों ने बताया कि महामारी के इस दौर में यह बेहद शुभ संकेत है.