राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) को बॉलीवुड का पहला सुपरस्टार भी कहा जाता है। उनका स्टारडम ऐसा था जो किसी सितारें ने नहीं देखा था। कहते हैं कि लड़कियां राजेश खन्ना की इतनी दीवानी थी कि उनके पैरों की धूल से अपनी मांग भरती थी। उनकी सफेद गाड़ी को चूमकर लाल गुलाबी कर देती थी। लेकिन काका की ये शोहरत हमेशा नहीं रही। एक समय ऐसा भी आया जब लोग उनसे बोर हो गए। यह बात काका बर्दाश्त नहीं कर पाए और टूट गए।
राजेश खन्ना को एक समय ऐसा लगा कि दर्शक उन्हें अधिक देखना चाहते हैं। ऐसे में वे एक के बाद एक कई फिल्में करने लगे। इसका नतीजा ये हुआ कि दर्शक उन्हें बार-बार देखकर ऊब गए। दर्शकों ने नकारा तो राजेश खन्ना में असुरक्षा की भावना आ गई। उन्हें हर कोई साजिशकर्ता लगने लगा।

जब किसी मैगजीन या अखबार में राजेश खन्ना की निगेटिव खबरें छपती तो वे गुस्सा हो जाते। उन्हें लगता कि इंडस्ट्री के दूसरे स्टार्स और प्रोड्यूसर्स उनकी कामयाबी से जले और डरे हुए हैं। ये उन लोगों कि मुझे नीचा दिखाने की साजिश है। राजेश खन्ना का पीआर संभालने वाले अजीत घोष बताते हैं कि यदि कोई काका के खिलाफ कुछ बुरा बोल दे तो वे बिना सच्चाई जाने उनके खिलाफ हो जाते थे। उनके इस स्वभाव से वे अकेले हो गए थे। उनके दोस्त कम और दुश्मन अधिक थे।

‘शहजादा’, ‘जोरू का गुलाम’ और ‘मेरे जीवन साथी’ यह तीन फिल्में जब बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हुई तो काका को यकीन नहीं हुआ। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि जिन फैंस ने उन्हें सुपरस्टार बनाया, अब वहीं उन्हें ठुकरा रहे हैं। यह देख उन्हें पैनिक अटैक जैसा आ गया था।